समास किसे कहते हैं, परिभाषा, भेद, उदाहरण Samas kise kahte hai, samas ki paribhasha, bhed, udahran, way2pathshala
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पोष्ट के प्रमुख बिन्दु
महत्त्व पूर्ण प्रश्न-उत्तर प्रश्न-तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद होते है ?
प्रश्न- संधि और समास में क्या अंतर होता है? प्रश्न- कर्मधारय समास और बहुब्रीहीय समास में क्या अन्तर है ? प्रश्न- कर्मधारय समास और द्विगु समास में अन्तर में क्या अन्तर होता है? प्रश्न-द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर में अन्तर लिखो प्रश्न पदों की प्रधानता के आधार पर समास कितने प्रकार के होते है? प्रश्न - समासों की पहचान करना
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यौगिक शब्दों का निर्माण
हिन्दी में यौगिक शब्दों क निर्माण चार प्रकार से होता है|
- संधि द्वारा
- समास द्वारा
- उपसर्ग द्वारा
- प्रत्यय द्वारा
प्रश्न-समास किसे कहते हैं?
उत्तर-समास-
समास दो शब्दों से मिल कर बना है – सम + आस, जिसका अर्थ होता है संक्षिप्त कथन अर्थात समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है।
प्रश्न- समास की परिभाषा और उसके भेद लिखे
उत्तर-
"जब दो या दो से अधिक पद मिलकर एक स्वतंत्र और सार्थक शब्द का निर्माण करते है उसे समास कहा जाता है"
अथवा
"दो या दो से अधिक शब्दों के विकार रहित मेल को समास कहते है"
समास के भेद
हिन्दी में समास के 6 भेद होते है
- द्वन्द समास
- द्विग समास
- बहुब्रीह समास
- कर्म धारय समास
- अवयवी भाव समास
- तत्पुरुष समास
1-द्वन्द समास
द्वन्द का शाब्दिक अर्थ होता है प्रतिस्पर्धा
इस समास में दोनों पद प्रधान होते है विच्छेद करने पर दोनों पदों के बीच में और,या शब्द का लोप होता है|
जैसे-
- राजा-रानी राजा और रानी
- दिन-रात दिन और रात
- चरा-चरम चर और अचर
- हानि-लाभ हानि या लाभ
- पाप-पुण्य पाप या पुण्य
2 द्विग समास
इसमें पहला पद संख्या वाची और दूसरा पद प्रधान होता है |
जैसे-
- सप्तर्षि-सात ऋषियों का समूह
- चौराहा-चार राहों का समाहार
- त्रिलोक-तीन लोको का समूह
- सप्ताह-सात दिनों क समूह
- पंचवटी-पाँच वट वृक्षों क समूह
- त्रिभुवन-तीन भुवनों का समूह
- चौपाई-चार पायों का समूह
- अठन्नी- आठ अन्नी क समूह
3-बहुब्रीह समास
इसमें कोई पद प्रधान नहीं होता है दोनों पद मिलकर एक नये पद का निर्माण करते है|
जैसे-
- पीताम्बर-पीले वस्त्र धारण करने वाले(श्री कृष्ण जी)
- त्रिनेत्र -तीन नेत्रों वाले अर्थात (शंकर जी)
- चतुर्भुज-चार भुजाओं वाले अर्थात विष्णु जी
- दशानन-दस सिरों वाला अर्थात रावण
- पंचानन-पांच सिरों वाले अर्थात हनुमान जी
- चतुलानन-चार सिरों वाले अर्थात ब्रह्मा जी
- चक्र पाणि-चक्र को धारण करने वाले अर्थात विष्णु जी
- वीणा पाणि-वीणा धारण करने वाली अर्थात सरस्वती जी
4-कर्म धारय समास
इसमें पूरा वाक्य विशेषण और विशेष की तरह कार्य करता है इसमें सम्भवता अगला पद पिछले पद की विशेषता को बतलाता है जैसे -
- नील कमल-नीला है जो कमल
- चंद्र मुखी-चन्द्रमा के समान मुख वाली
- नीलाम्बार-नीला है जो अम्बर
- हस्त लिखित-हाथ से जो है लिखित
- लोह पुरुष-लोहे जैसा पुरुष
- मुख कमल-मुख जैसा कमल
5- अवयवी भाव समास
इस समास की निम्न लिखित विशेषताएं होती है|
- इसमें पहला पद प्रधान होता है.
- दोनों पद मिलकर अवयव की भाति प्रयोग होते है.
जैसे-
- यथा संभव-जैसा सम्भव हो
- यथा शक्ति-शक्ति के अनुसार
- यथोचित-जैसा उचित हो
- प्रति दिन-प्रत्येक दिन
- प्रतिलिप-लिखे हुये की नक़ल
- भर पेट-पेट भर के
- हाथों हाथ-हाथ ही हाथ में
6- तत्पुरुष समास
नोट-तत्पुरुष
समास
के
बारे
में
विस्तृत
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प्रश्न-समास के उदाहरण लिखो
उत्तर-
यथा संभव, चंद्र मुखी, पिताम्बर, यथाशक्ति,त्रिनेत्र, राजा-रानीआदि समास के उदाहरण है।
प्रश्न- समास विग्रह किसे कहते है?
उत्तर- समास विग्रह
समास के अर्थबोधक वाक्य को समास विग्रह (samas ka vigrah) कहते हैं। अर्थात समास विग्रह करते समय हटाए गए ‘सर्ग’ पुनः लगा दिये जाते हैं। जैसे
- चंद्र मुखी का समास विग्रह–चन्द्रमा के समान मुख वाली
- लोह पुरुष का समास विग्रह–लोहे जैसा पुरुष
- नीलकमल का समास विग्रह– नीला है जो कमल।
- चौराहा का समास विग्रह– चार राहों का समूह।
- चरा-चरम का समास विग्रह–चर और अचर
- नीलाम्बार का समास विग्रह–नीला है जो अम्बर
महत्त्व पूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
उत्तर-जिस समास का उत्तर पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच कारक चिन्ह का लोप होता है। उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद होते है ?
उत्तर- तत्पुरुष समास के भेद तकारक तथा अन्य आधार पर तत्पुरुष के निम्न्लिखित भेद होते हैं
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- सम्प्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- सम्बन्ध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
कर्ता-ने कर्म-को करण-से सम्प्रदान-को/के अपादान-से (अलग होने का भाव-जब कोई चीज किसी से अलग होती है जैसे-पेड़ से पत्ता गिरना) सम्बन्ध-का, की, के, और रा, री, रे अधिकरण-में सम्बोधन- है |
1-कर्म तत्पुरुष – को परसर्ग (विभक्ति कारक चिह्नों) का लोप होता है जैसे-
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2- करण तत्पुरुष – इसमें से ‘द्वारा’ परसर्ग का लोप होता है जैसे-
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3- सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘को’ ‘के लिए’ परसर्ग को लोप होता है जैसे-
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4-अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है जैसे-
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5-सम्बन्ध तत्पुरुष– इसमें ‘का, की, के, और रा, री, रे’ परसर्गाें का लोप हो जाता है जैसे-
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6- अधिकरण तत्पुरुष – इसमें से कारक की विभक्ति में/पर का लोप हो जाता है जैसे-
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प्रश्न- समास कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर-समास के प्रकार
हिन्दी में समास के 6 प्रकार होते है
- द्वन्द समास
- द्विग समास
- बहुब्रीह समास
- कर्म धारय समास
- अवयवी भाव समास
- तत्पुरुष समास
प्रश्न- संधि और समास में क्या अंतर होता है?
उत्तर- समास और संधि में अन्तर
- संधि में दो ध्वनियों का मेल होता है जबकि समास में दो पदों का
- समास में दो पदों के बीच कारको का प्रयोग होता है जबकि संधि में ऐसा नहीं होता
- समास पदों को तोडना 'समास विग्रह कहा जाता है जबकि संधि को तोड़ना 'संधि विच्छेद' कहा जाता है
- नीलकंठ-नीला है जो कंठ (कर्मधारय समास )
- नीलकंठ-नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव (बहुव्रीही)
- पीताम्बर-पीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
- पीताम्बर-पीला है अम्बर जिसका अर्थात् कृष्ण (बहुव्रीहि)
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प्रश्न पदों
की
प्रधानता
के
आधार
पर
समास
कितने
प्रकार
के
होते
है?
उत्तर-चार प्रकार के
- प्रथम पद प्रधान-अव्यवीभाव समास
- द्वितीय पद प्रधान-तत्पुरुष समास
- दोनों पद प्रधान-द्वन्द समास
- अन्य पद प्रधान-बहुब्रीह समास
प्रश्न निम्न
लिखित
में
समास
बताओं
- जीवन मरण
- विष धर
- तिरंगा
- यथा सम्भव
- नीरोग
- चंद्र शेखर
- मृग नयनी
उत्तर-
- जीवन मरण-द्वन्द समास
- विष धर-बहुब्रीह समास(विष को धारण करने वाला अर्थात शंकर जी)
- तिरंगा-द्विग समास
- यथा सम्भव-अवयवी भाव समास
- नीरोग-अवयवी भाव समास
- चंद्र शेखर-बहुब्रीह समास
- मृग नयनी-कर्म धारय समास
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